मैं और खुदा (एपिसोड नंबर-2)
(मैं और खुदा एक ऐसा नॉवेल है जो आपको हैरत के समुंदरों में लेजाएगा, अनपुछी पहेलियां सुलझाएगा जो एक झोपड़ी से लेकर महल तक के सोच के मीनार हिलाएगा। इश्क, मोहब्बत, जुनून, सुकून, बगावत से होते हुए एक नई दुनिया में लगाएगा जो आपको सोचने पर नहीं बल्कि अमल करने पर मजबूत करेगा, इसमें आप तल्ख बातें ज़रूर सुनेगे लेकिन नॉवेल के इख्तेताम पर पूरी बात वाज़ेह होजाएगी। तनकीद आपका हक है लेकिन फतवा नही हत्ता के मैं अपनी पूरी बात वाज़ेह करदू, ज़्यादा से ज़्यादा शेयर करें लेकिन मेरी मेहनत पे डाका डाल के नही बल्की मेरी हौसला अफजाई करते ।) मैं और खुदा मुसन्निफ _ तैमूर अजमल ट्रांसलेटर - नीदा महरोश एपिसोड नंबर-2 ( दृश्य-1 ) उसकी आंख खुली तो उसने खुद को हॉस्पिटल में पाया। पास खड़ी नर्स को वो सवालिया निगाहों से देख रहा था, इससे पहले के वो कुछ बोलता नर्स खीर ही बोल उठी "आपको हल्की सी चोट लगी है जिसकी वजह से आप बेहोश होगाये थे"। इससे पहले के नर्स आगे कुछ बोलती वो खुद ही बोल उठा, " वो जो धमाका हुआ था? और बाकी यात्रियों का क्या हुआ?" नर्स हल्का सा मुस्कुटाई और बोली,"जिसे रब रखे उसे कौन चखे? ...